Saturday, October 5, 2019
हाय री ! "गुड़हल" की चटनी ... बस यूँ ही ...
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" दीदी ! आज पचास रुपया उधार चाहिए आप से। मिलेगा दीदी !? " - यह कामवाली बाई सुगिया की आवाज़ थी , जो मालकिन नुपूर जी को कही गई थी। ...
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Friday, October 4, 2019
रामलीला है शुरू होने वाली ...
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दशहरे में इस साल भी हो रही होगी वहाँ रामलीला की तैयारी सोचा घूम आऊँ गाँव का मेला भी साथ-साथ अबकी बारी सबसे मिलना-जुलना भी हो जाएगा .. थो...
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Thursday, October 3, 2019
नवरातरा (नवरात्रि) चल रहा है ... (लघुकथा).
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" गुडगाँव वाला 'नयका' (नया) फ्लैट मुबारक़ हो पाण्डे जी ! उहाँ (वहाँ) तो गृहप्रवेश करवा दिए ... भोज-भात भी हो गया। हिआँ (यहाँ) ग...
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Monday, September 30, 2019
बापू ! एक भी तो बन्दरिया ली होती - (तीन बन्दर बनाम तीन रचनाएँ)
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(1)# बापू ! एक भी तो बन्दरिया ली होती ---------------------------------------- कुछ भूल हुई तुम से भी ना बापू !? उसी से तो है दुनिया आज...
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Sunday, September 29, 2019
कपसता है सुर ...
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अनवरत निरपेक्ष ... किए बिना भेद ... किसी धर्म-जाति का या फिर किसी भी देश-नस्ल का षड्ज से निषाद तक के सात स्वरों के सुर से सजता है सरगम ...
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Friday, September 27, 2019
चन्द पंक्तियाँ - (१८ ) - "मन के दूरबीन से" - बस यूँ ही ...
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(१)* माना ... इन दिनों छीन लिया है तुम्हारे सिरहाने से मेरी बाँहों का तकिया मेरे 'फ्रोजेन शोल्डर' ने ... बहरहाल आओ मन बहल...
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Sunday, September 22, 2019
एक काफ़िर का सजदा ...
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मौला भी तू, रब भी तू अल्लाह भी तू ही, तू ही है ख़ुदा करना जो चाहूँ सजदा तुम्हें तो ज़माने भर से है सुना हम काफ़िरों को है सजदा मना अब ब...
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