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Saturday, March 6, 2021
मन में ठौर / कतरनें ...
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कई बार अगर हमारे जीवन में सम्पूर्णता, परिपूर्णता या संतृप्ति ना हो तो प्रायः हम कतरनों के सहारे भी जी ही लेते हैं .. मसलन- कई बार या अक़्सर ह...
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Tuesday, June 23, 2020
बाथरूम की दीवार पर ...
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आपको याद हो शायद .. 22 मई' 2020 को अपनी एक पुरानी रचना - " मिले फ़ुर्सत कभी तो ... " और उसकी प्रस्तुति का वीडियो भी मैं ने ...
6 comments:
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