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Monday, August 2, 2021
चंचल चटोरिन ...
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ऐ ज़िन्दगी ! मेरी जानाँ ज़िन्दगी !! जान-ए-जानाँ ज़िन्दगी !!! चंचल चटोरिन किसी एक बच्ची की तरह कर जाती है, यूँ तो तू चट चटपट, मासूम बचपन और ....
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Thursday, May 7, 2020
मेरे हस्ताक्षर में ...
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हाशिए पर पड़ी ज़िन्दगी उपेक्षित कब होती है भला !? बोलो ना ... सखी .. संपूर्ण पन्ने का मूल्यांक और मूल्यांकन व अवलोकन को सत्याप...
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