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शोहरत की चाह में
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Sunday, May 3, 2020
शोहरत की चाह में
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(१) समय और समाज को ही है जब तय करना जिसे ख़ातिर उसके तू भला क्यों है इतना मतवाला ? है होना धूमिल आज नहीं...
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