बंजारा बस्ती के बाशिंदे
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Friday, May 8, 2020

बेचारी भटकती है बारहा ...

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सारा दिन संजीदा लाख रहे मोहतरमा संजीदगी के पैरहन में मीन-सी ख़्वाहिशें मन की, शाम के साये में मचलती है बारहा निगहबानी परिंदे की है मि...
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Sunday, December 22, 2019

भला कौन बतलाए ...

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कर पाना अन्तर हो जाता है मुश्किल न्याय और अन्याय में रत्ती भर भी  हो जब बात किसी की स्वार्थसिद्धि की या फिर रचनी हो कड़ी कोई नई सृष्टि की...
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Subodh Sinha
आम नागरिक, एक इंसान बनने की कोशिश
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