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मसीहा
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Wednesday, April 7, 2021
बस्ती में बच्चों को ...
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यूँ पंछियों को निहारता घंटों, है सहलाता लावारिस पशुओं को भी, पर सिर झुकाता नहीं 'मूक' के आगे,समझते हैं सब उसे सिरफिरा। करता रहता ह...
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Tuesday, April 21, 2020
मन की मीन ... - चन्द पंक्तियाँ - (२६) - बस यूँ ही ...
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(1) बस यूँ ही ... अक़्सर हम आँसूओं की लड़ियों से हथेलियों पर कुछ लकीर बनाते हैं आहों की कतरनों से भर कर रंग जिनमें उनकी ही तस्वीर सजाते...
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