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Monday, January 13, 2020
निगहबान मांझा ... - चन्द पंक्तियाँ - (२१) - बस यूँ ही ...
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(१)* ठिकाना पाया इस दरवेश ने तुम्हारे ख़्यालों के परिवेश में ... (२)* माना .. घने कोहरे हैं फासले के बहुत दरमियां हमारे-तुम्हारे ....
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