बंजारा बस्ती के बाशिंदे
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Wednesday, September 18, 2019

चन्द पंक्तियाँ - (16) - "मादा जुगनूओं के" - बस यूँ ही ...

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(1)*** यूँ तो सुना है ... क़ुदरत की एक नाइंसाफी कि ... मादा जुगनूओं के पंख नहीं होते ये रेंगतीं हैं बस उड़ नहीं सकती नर जुगनूओं की ...
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Subodh Sinha
आम नागरिक, एक इंसान बनने की कोशिश
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