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चंद पंक्तियाँ
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Wednesday, November 11, 2020
गिरमिटिया के राम - चंद पंक्तियाँ-(29)-बस यूँ ही ...
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(1) निरीह "कलावती" "कलावती" के पति के जहाज़ को डुबोने वाले, चाय लदी जहाज़ भी कलुषित फ़िरंगियों के एक-दो भी तो डुबोते, भ...
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Tuesday, November 3, 2020
रिश्तों का ज़ायक़ा - चंद पंक्तियाँ - (28) - बस यूँ ही ...
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"रिश्तों का ज़ायक़ा" शीर्षक के अंतर्गत मन में पनपी अपनी रचनाओं की श्रृंखलाओं में से एक - "चंद पंक्तियाँ - (28) - बस यूँ ही ......
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Friday, October 30, 2020
होठों की तूलिका - चंद पंक्तियाँ - (27)- बस यूँ ही ...
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आज शरद पूर्णिमा के पावन अवसर पर .... (१) होठों की तूलिका आज सारी रात शरद पूर्णिमा की चाँदनी मेरी बाहों का चित्रफलक तुम्हारे तन का कैनवास मे...
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