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Monday, March 18, 2024
तीन तार की चाशनी ...
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परतों के पल्लू में सिमटी-सी, सिकुड़ी-सी, मैं थी .. पके धान-सी। मद्धिम .. मद्धिम आँच जो पायी, प्रियतम तेरे प्यार की; खिलती गयी, निखरती गयी, ...
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