Showing posts with label
काव्यांजलि
.
Show all posts
Showing posts with label
काव्यांजलि
.
Show all posts
Monday, September 23, 2024
खुरचा हुआ चाँद ...
›
आज की बतकही की शुरुआत बिना किसी भूमिका के .. आज पढ़ने से ज़्यादा आपकी तो .. देखने व सुनने की बारी है .. शायद ... तो सबसे पहले आप देखिए-सुनिए ...
7 comments:
Thursday, September 19, 2024
चौबीस दिनों तक .. बस यूँ ही ...
›
अक्सर देखी है हमने, वकालत करते लोगों को, दुनिया भर में, अपने ख़ून के अटूट रिश्ते की। पर महकती तो है मुस्कान घर-घर में, दो अलग-अलग ख़ूनों के ...
2 comments:
›
Home
View web version