हम सभी प्रतिवर्ष 6 October को "विश्व सेरेब्रल पाल्सी दिवस" मनाते हैं। वैसे तो इस दिवस की शुरुआत सन् 2012 ईस्वी में हुई थी, परन्तु यह बीमारी सदियों पुरानी है। जिसका इलाज आज भी समस्त विश्व में उपलब्ध नहीं है। भले ही हमारे वैज्ञानिक चाँद व मंगल तक को लाँघ आए हों और .. सूरज तक पहुँचने की कोशिश कर रहे हों, पर इतने उन्नत विज्ञान, ख़ासकर चिकित्सा विज्ञान, के बावजूद .. यह बीमारी अन्य असाध्य रोगों की तरह आज तक .. अब तक लाइलाज है।
इस बीमारी से ग्रस्त बच्चों के साथ-साथ उनके परिवार के समस्त संलिप्त सदस्यों को भी ताउम्र मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक अतिरिक्त पीड़ा से प्रभावित रहना पड़ता है।
परन्तु इन बीमारियों और बीमारों से जुड़ी हमारे तथाकथित बुद्धिजीवी समाज में कई गलत अवधारणाएँ व्याप्त हैं। उन्हीं अवधारणाओं पर कुठाराघात करती हुई, हमारी दो पंक्तियों वाली बतकही, उन सभी सेरेब्रल पाल्सी अथार्त मस्तिष्क पक्षाघात से ग्रस्त बच्चों को और उनके साथ समस्त संलिप्त परिवार के सदस्यों को समर्पित है .. बस यूँ ही ...
ग्रस्त तमाम बीमारियों के बीमारों को, भोगने की बात कहने वाले बुद्धिजीवियों, उन बीमारों को बतला कर, उन्हें जतला कर, उनके पाप कर्मों का फल, उनके पूर्व जन्मों का फल ।
सोचो रूढ़िवादियों, (क्षमा करें, बुद्धिजीवियों !) इहलीला हुई समाप्त जिन सभी की कोरोनाकाल में, जिस कारण से भी हो चाहे, था वो सब विज्ञान या पाप कर्मों का ही फलाफल ?
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 07 अक्टूबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
ReplyDeleteजी ! .. सादर नमन संग आभार आपका ...
Delete