वैसे तो हमारे जीवन में पढ़ाई के समय तो Course ( अध्ययन/ पाठ्यक्रम ) शब्द हुआ ही करता है और अब तो .. खाने में भी Course शब्द धड़ल्ले से इस्तेमाल होता है .. प्रायः शहरी या नगरीय भोजों या होटलों व रेस्टुरेन्टों में .. शायद ...
मसलन - खाने से पहले परोसे जाने वाले हल्के भोजन को स्टार्टर कोर्स मेनू ( Starter Course Menu ) कहते हैं। कहीं-कहीं इसे First Course भी कहते हैं। फिर आता है मुख्य भोजन यानि मेन कोर्स (Main Course ) और अंत में आती है बारी .. मिठाईयों या कुछ भी मीठे की , जिसे रेगिस्तान (Desert) में एक और एस (S) जोड़ कर हम सभी डेज़र्ट (Dessert) बोलते हैं। कभी न कभी आप भी बावस्ता हुए ही होंगे जरूर इन सब से .. शायद ...
पर .. गाँव या घर में भी तो ये सब होता ही है न ? नहीं क्या ? न, न, होता है .. हमारे घर का स्टार्टर होता है - गर्मागर्म दाल की कटोरी में ऊपर-ऊपर तैरता घी या सलाद और गाँव के पंगत वाले भोज के अंत में परोसी जाने वाली बुँदिया और दही होते हैं - डेज़र्ट .. शायद ...
अब आप भी सोच रहे होंगे कि आज हमने अपनी बतकही की नकारात्मक सारी हदें पार कर के ये क्या बुँदिया , दही की फ़ालतू बकवास किये जा रहा हूँ। तो ख़ैर !... चलिए .. सीधे अब आज की अपनी दो रचनाओं (?) में से पहली "स्टार्टर" के तौर पर पेश करते हैं .. और फिर दूसरी "मेन कोर्स" .. और फिर "डेज़र्ट" .. न, न, "डेज़र्ट" आज नहीं .. वो फिर कभी .. बस यूँ ही ... :)
(१) तुलसीदल-सा
प्रातः
किसी
कथा-पूजन*
हेतु
कटे
फलों-सा
था जीवन
मेरा ,
जानाँ जब से
हुई तुम
शामिल
तुलसीदल-सा
तो ये ...
पावन
प्रसाद**
बन गया।
【 * - तथाकथित 】
【 ** - तथाकथित 】.
(२) रिश्ते यहाँ अक़्सर ...
लड़कियों की
नुमाईश
और
लड़कों* की
फ़रमाईश के
प्रतिच्छेदन बिन्दु** पर
ही तो होती हैं
तय यहाँ
शादियाँ तयशुदा अक़्सर ...
फिर धर्म ,
जाति, उपजाति का
होना समान और
गोत्र का असमान तो
हैं ही शर्तें भी कई ,
होता है
जिन सब की
छानबीन पर ही
निर्वाह इनका अक़्सर ...
बनते हैं रिश्ते
ऐसे में या ..
होता है फिर
कुलीन-शालीन
व्यापार कोई ?
है ये उधेड़बुन ही ..
ताउम्र ढूँढ़ते हैं
फिर इनमें ही
हम रिश्ते यहाँ अक़्सर .. शायद ...
【 * - लड़के वालों. 】
【 ** - गणितीय ग्राफ में दो रेखाएँ या तलें जहाँ एक दूसरे से मिलती हैं या एक दूसरे को काटते हुए गुजरती हैं उसे प्रतिच्छेदन बिन्दु कहते हैं। मसलन - अर्थशास्त्र में माँग और आपूर्ति की प्रतिनिधित्व करती दो रेखाएँ गणितीय ग्राफ में जहाँ एक दूसरे से मिलती हैं या एक दूसरे को काटते हुए गुजरती हैं ; उस बिन्दु की सहायता से बाज़ार में किसी वस्तु की कीमत प्रायः तय होती है। 】
{ चित्र साभार = छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र में प्रदर्शित सार-चित्रकारी (Abstract Drawing) से। }.
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 10.02.2021 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
ReplyDeleteधन्यवाद
जी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2036...कुछ देर जागकर हम आज भी सो रहे हैं...) पर गुरुवार 11 फ़रवरी 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteनिराला अंदाज । अलहदा ।
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ...
Deleteवाह
ReplyDelete:)
Deleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteजी ! नमन संग आभार आपका ...
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