यूँ तो अच्छी नस्लों को कब और कहाँ ..
अपने समाज के लिए सहेजा हमने ?
सुकरात को ज़हर दे कर मारा हमने,
ईसा को भी सूली पर चढ़ाया हमने,
दारा शिकोह को मार डाला उसके ही अपनों ने
ऐसे कई अच्छे डी एन ए को तो
सदा वहीं नष्ट कर डाला हमने।
और कई दार्शनिक, वैज्ञानिक और
बुद्धिजीवी भी तो रह गए कुँवारे ताउम्र।
ना इनकी भी कोई संतति मिल पायी
बहुधा समाज को हमारे।
अपने समाज के लिए सहेजा हमने ?
सुकरात को ज़हर दे कर मारा हमने,
ईसा को भी सूली पर चढ़ाया हमने,
दारा शिकोह को मार डाला उसके ही अपनों ने
ऐसे कई अच्छे डी एन ए को तो
सदा वहीं नष्ट कर डाला हमने।
और कई दार्शनिक, वैज्ञानिक और
बुद्धिजीवी भी तो रह गए कुँवारे ताउम्र।
ना इनकी भी कोई संतति मिल पायी
बहुधा समाज को हमारे।
फिर ईसा पूर्व में हखामनी साम्राज्य के
दारा प्रथम का पहला सफल हमला
और फिर यूनान, शक़, हूण से लेकर
अंग्रेजों तक का निरन्तर आना
हुए यहाँ कई-कई समर ..
हुए यहाँ कई-कई ग़दर,
हुए कई-कई देखे-अनदेखे जुल्मोंसितम ..
कई कहे-अनकहे क़हर,
लूटे गए कई बसे गाँव-घर ..
कई-कई बसे-बसाए शहर।
दारा प्रथम का पहला सफल हमला
और फिर यूनान, शक़, हूण से लेकर
अंग्रेजों तक का निरन्तर आना
हुए यहाँ कई-कई समर ..
हुए यहाँ कई-कई ग़दर,
हुए कई-कई देखे-अनदेखे जुल्मोंसितम ..
कई कहे-अनकहे क़हर,
लूटे गए कई बसे गाँव-घर ..
कई-कई बसे-बसाए शहर।
आक्रमण कर के कुछ का लूटपाट करना,
कुछ का शोषण करना,
कुछ का तो वर्षों तक शोषण
और शासन भी करना।
कुछ का औपनिवेशिक जमीन से
अपने वतन लौट जाना,
कुछ का अपनी आबादी का
तादाद बढ़ाते हुए यहीं बस जाना।
जाने वालों का कुछ-कुछ यहाँ से ले जाना
और साथ ही कुछ-कुछ हमें दे जाना।
कुछ का तो वर्षों तक शोषण
और शासन भी करना।
कुछ का औपनिवेशिक जमीन से
अपने वतन लौट जाना,
कुछ का अपनी आबादी का
तादाद बढ़ाते हुए यहीं बस जाना।
जाने वालों का कुछ-कुछ यहाँ से ले जाना
और साथ ही कुछ-कुछ हमें दे जाना।
कुछ-कुछ नहीं .. शायद ... बहुत-बहुत कुछ ..
ले जाना भी और दे जाना भी।
बड़ी से बड़ी भी .. मसलन- कई इमारतें
और छोटी से छोटी भी .. मसलन- अपने डी एन ए को
शुक्राणुओं की शक़्ल में .. शायद ...
हाँ , सूक्ष्म शुक्राणुओं की बौछार ..
ज़बरन, ज़ोर-ज़बर्दस्ती लूटी औरतों की
चीखों से बेख़बर हर बार..
उनकी कोखों में .. हर बार .. बारम्बार
बस बलात्कार ही बलात्कार।
अब भला उनकी वो संकर
औलादें कहाँ हैं ? .. कौन हैं ?
हम में से ही कोई ना कोई तो है ? .. है ना ? ..
ले जाना भी और दे जाना भी।
बड़ी से बड़ी भी .. मसलन- कई इमारतें
और छोटी से छोटी भी .. मसलन- अपने डी एन ए को
शुक्राणुओं की शक़्ल में .. शायद ...
हाँ , सूक्ष्म शुक्राणुओं की बौछार ..
ज़बरन, ज़ोर-ज़बर्दस्ती लूटी औरतों की
चीखों से बेख़बर हर बार..
उनकी कोखों में .. हर बार .. बारम्बार
बस बलात्कार ही बलात्कार।
अब भला उनकी वो संकर
औलादें कहाँ हैं ? .. कौन हैं ?
हम में से ही कोई ना कोई तो है ? .. है ना ? ..
अब जीव-विज्ञान तो है महज़ एक विज्ञान ..
क़ुदरत का एक है वरदान।
अब इन शुक्राणुओं को और
अंडाणुओं को भी भला कहाँ है मालूम कि ..
सम्भोग करने वाला .. पति है या प्रेमी
या फिर लूटेरा या बलात्कारी कोई।
वो तो मिलते ही बस .. बनाने लग जाते हैं
युग्मनज गर्भों में बस यूँ ही ...।
ये विज्ञान या क़ुदरत भी न अज़ीब है ..
मतलब .. नीरा बेवकूफ भी।
पूरी तरह धर्मनिरपेक्ष है।
जाति निरपेक्ष और देश निरपेक्ष भी।
जरा भी .. भेद करना जानता ही नहीं
नासपीटा कहीं का ... हमारी तरह कभी।
क़ुदरत का एक है वरदान।
अब इन शुक्राणुओं को और
अंडाणुओं को भी भला कहाँ है मालूम कि ..
सम्भोग करने वाला .. पति है या प्रेमी
या फिर लूटेरा या बलात्कारी कोई।
वो तो मिलते ही बस .. बनाने लग जाते हैं
युग्मनज गर्भों में बस यूँ ही ...।
ये विज्ञान या क़ुदरत भी न अज़ीब है ..
मतलब .. नीरा बेवकूफ भी।
पूरी तरह धर्मनिरपेक्ष है।
जाति निरपेक्ष और देश निरपेक्ष भी।
जरा भी .. भेद करना जानता ही नहीं
नासपीटा कहीं का ... हमारी तरह कभी।
फिर जब राजतंत्र और शासन थे तो ..
शासक का होना था लाज़िमी
और इन राजाओं और बादशाहों की
रानियां, पटरानियाँ और बेग़में भी तो थीं ही
साथ ही हरम में रखैलें, दासियाँ भी
अनगिनत थीं हुआ करतीं।
अनगिनत रखैलों की नस्लों की तादाद भी तो
वाजिब है अनगिनत ही होगी .. है कि नहीं ?
हमारे बीच ही तो हैं ना वो हरम में
जन्मीं औलादों की नस्लें आज भी ?
शासक का होना था लाज़िमी
और इन राजाओं और बादशाहों की
रानियां, पटरानियाँ और बेग़में भी तो थीं ही
साथ ही हरम में रखैलें, दासियाँ भी
अनगिनत थीं हुआ करतीं।
अनगिनत रखैलों की नस्लों की तादाद भी तो
वाजिब है अनगिनत ही होगी .. है कि नहीं ?
हमारे बीच ही तो हैं ना वो हरम में
जन्मीं औलादों की नस्लें आज भी ?
सोचता हूँ कभी-कभी कि ..
लगभग हजार साल पहले
महमूद गजनवी के सोलहवें
आक्रमण के समय 1025 ईस्वी में
कोई ना कोई तो हमारा भी
एक अदना-सा पूर्वज रहा होगा ?
पर भला कौन रहा होगा ?
जिसके डी एन ए का अंश आज हमारा होगा
मुझे तो पता ही नहीं .. तनिक भी नहीं।
लगभग हजार साल पहले
महमूद गजनवी के सोलहवें
आक्रमण के समय 1025 ईस्वी में
कोई ना कोई तो हमारा भी
एक अदना-सा पूर्वज रहा होगा ?
पर भला कौन रहा होगा ?
जिसके डी एन ए का अंश आज हमारा होगा
मुझे तो पता ही नहीं .. तनिक भी नहीं।
शायद आपको पता होगा ..
शायद नहीं .. पक्का ही ..
हाँ .. हाँ .. आपको तो पता होगा ही ..
हजार क्या, हजारों-हजार साल पुराने भी
वंश बेल की अपनी हर पुरानी
शाखाओं-उपशाखाओं की जानकारी।
शान से कहते हैं तभी तो
अकड़ा कर गर्दन आप अपनी कि ..
आप हैं किसी ना किसी देवता
या ऋषि के कुल की विशुद्ध संतति।
शायद नहीं .. पक्का ही ..
हाँ .. हाँ .. आपको तो पता होगा ही ..
हजार क्या, हजारों-हजार साल पुराने भी
वंश बेल की अपनी हर पुरानी
शाखाओं-उपशाखाओं की जानकारी।
शान से कहते हैं तभी तो
अकड़ा कर गर्दन आप अपनी कि ..
आप हैं किसी ना किसी देवता
या ऋषि के कुल की विशुद्ध संतति।
पर हमने जो अपने गिरेबान में झाँका ..
जब कभी भी .. जहाँँ कहीं भी .. बार-बार झाँका,
हजार साल पहले के मेरे पुरख़े का
फिर भी मालूम कुछ भी मुझे चला नहीं।
तभी तो हम अपनी जाति-धर्म के लिए
अपनी गर्दन कभी भी अकड़ाते नहीं।
जब कभी भी .. जहाँँ कहीं भी .. बार-बार झाँका,
हजार साल पहले के मेरे पुरख़े का
फिर भी मालूम कुछ भी मुझे चला नहीं।
तभी तो हम अपनी जाति-धर्म के लिए
अपनी गर्दन कभी भी अकड़ाते नहीं।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 08 जून 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी! आभार आपका ...
Deleteबेहतरीन प्रस्तुति 👌👌
ReplyDeleteजी ! आभार आपका ...
Deleteसारगर्भित प्रस्तुति!
ReplyDeleteजी ! आभार आपका ...
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