1)
आओ आज कतरनों से कविताएं रचते हैं
और मिलकर कचरों से कहानियाँ गढ़ते हैं।
2)
नज़रें हो अगर तूलिका तो ... कतरनों में कविताएं और ...
कचरों में कहानियाँ तलाशने की आदत-सी हो ही जाती है ।
(1) बस यूँ ही ...
#Lock Down के बहाने - #Handicraft/हस्तशिल्प - (१).
School & College के जमाने वाले हस्तशिल्प/ Handicraft की अभिरुचि को Lock Down के बाद एक नया पुनर्जीवन मिला है।
ठीक वैसे ही जैसे लेखन को 2018 ( 52 वर्ष के उम्र में ) से युवाओं के साथ Openmic के सहारे और 2019 में ब्लॉग के सहारे पुनर्जीवन मिला । साथ ही युवाओं के साथ ही यूट्यूब फ़िल्म निर्माण से मंचन/अभिनय को पुनर्जीवन मिला है।
वर्षों से जमा किए गए कबाड़ ( धर्मपत्नी की भाषा में ) जिसे हालांकि धर्मपत्नी ही संभाल कर रखती जाती है, उसी की मदद से निकलवाया और धूल की परतों को हटाया। दो -तीन दिन तो वैसे उसी में निकल गए।
फ़ालतू की बेजान चीजें मसलन - फ़िलहाल तो इस Wall Hanging की बात करें तो ... इस के लिए - नए undergarments के खाली डब्बे से गत्ते, पिस्ते के छिलके, आडू/सतालू का बीज, गेहूँ की बाली, पुराना मौली सूत व बद्धि( जो मिलने पर पहनता तो नहीं, पर ऐसे मौकों के लिए जमा कर लेता हूँ ) , खीरनी (फल) का बीज, Velvet Paper, Fevicol, कैची, ब्रश और obviously ... Lock Down का क़ीमती समय ...☺☺☺
वैसे कैसा लग रहा ... अब आप lock down में बोर होने का रोना 😢😢😢 मत रोइएगा ...😊
ठीक वैसे ही जैसे लेखन को 2018 ( 52 वर्ष के उम्र में ) से युवाओं के साथ Openmic के सहारे और 2019 में ब्लॉग के सहारे पुनर्जीवन मिला । साथ ही युवाओं के साथ ही यूट्यूब फ़िल्म निर्माण से मंचन/अभिनय को पुनर्जीवन मिला है।
वर्षों से जमा किए गए कबाड़ ( धर्मपत्नी की भाषा में ) जिसे हालांकि धर्मपत्नी ही संभाल कर रखती जाती है, उसी की मदद से निकलवाया और धूल की परतों को हटाया। दो -तीन दिन तो वैसे उसी में निकल गए।
फ़ालतू की बेजान चीजें मसलन - फ़िलहाल तो इस Wall Hanging की बात करें तो ... इस के लिए - नए undergarments के खाली डब्बे से गत्ते, पिस्ते के छिलके, आडू/सतालू का बीज, गेहूँ की बाली, पुराना मौली सूत व बद्धि( जो मिलने पर पहनता तो नहीं, पर ऐसे मौकों के लिए जमा कर लेता हूँ ) , खीरनी (फल) का बीज, Velvet Paper, Fevicol, कैची, ब्रश और obviously ... Lock Down का क़ीमती समय ...☺☺☺
वैसे कैसा लग रहा ... अब आप lock down में बोर होने का रोना 😢😢😢 मत रोइएगा ...😊
(2) बस यूँ ही ...
#Lock Down के बहाने - #Handicraft/हस्तशिल्प - (२).
दुनिया में कुछ भी बेकार नहीं होता .. शायद ... । मसलन लौकी के छिलके जिसे अमूमन फेंक दिया जाता हैं, प्रायः बंगाली रसोईघर में उसकी भुजिया बना ली जाती है। फैक्ट्री में जब सोयाबीन से तेल ( रिफाइन) निकाला गया तो उस के बचे खल्ली से सोयाबीन का बड़ी बना लिया गया। यहाँ तक कि मानव-मल (इसकी चर्चा शायद घृणा उपजा रही हो) तक से खाद तैयार कर लिया जाता है, जिसे "स्वर्ण खाद" कहते हैं। कहते हैं ना - वही कालिख, कहीं काजल तो कहीं दाग ...
तो आज बनाया है .. कई सालों में जमा किए हुए पके और सूखे नेनुए ( घीया ) और खिरनी ( फल ) के बीजों के संयोजन से एक Wall Hanging और उन्हीं नेनुए के तीन कंकाल और एक पुरानी टोकरी, तार, होल्डर, रंगीन नाईट बल्ब के संयोजन से एक Night Lamp भी ...
Lock Down जरा भी बोर नहीं कर रहा ... बल्कि कई सोयी अभिरुचियों को अंगड़ाई लेने का मौका मिल रहा ... लोग तो मज़बूर मज़दूरों के लिए बिना लंगर चलाए ही Social Media का Page रंग ही रहे हैं ... तब तक ... बस यूँ ही ...☺
तो आज बनाया है .. कई सालों में जमा किए हुए पके और सूखे नेनुए ( घीया ) और खिरनी ( फल ) के बीजों के संयोजन से एक Wall Hanging और उन्हीं नेनुए के तीन कंकाल और एक पुरानी टोकरी, तार, होल्डर, रंगीन नाईट बल्ब के संयोजन से एक Night Lamp भी ...
Lock Down जरा भी बोर नहीं कर रहा ... बल्कि कई सोयी अभिरुचियों को अंगड़ाई लेने का मौका मिल रहा ... लोग तो मज़बूर मज़दूरों के लिए बिना लंगर चलाए ही Social Media का Page रंग ही रहे हैं ... तब तक ... बस यूँ ही ...☺
(3) बस यूँ ही ...
#Lock Down के बहाने - #Handicraft/हस्तशिल्प - (३).
हमलोगों में से अधिकांश लोग सुबह किसी ना किसी कम्पनी के टूथपेस्ट वाले ट्यूब या पुरुष वर्ग शेविंग क्रीम के ट्यूब ( अब Tuesday, Thursday और Saturday को shaving नहीं करने वाले और उसकी अंधपरम्परा की बात नहीं करूँगा ) का इस्तेमाल करते ही करते हैं। उनमें से कुछ लोग ट्यूब दबा- दबा कर अंत तक उसका पीछा नहीं छोड़ते और कुछ मेरे जैसे लोग उसको कैंची से काट कर उसके सारे अंश (चाट)-पोछ कर इस्तेमाल कर जाते हैं। और ... जैसा कि मेरा मानना है कि दुनिया में कुछ भी बेकार नहीं होता .. शायद ... पर कम ही लोग उस बचे हुए ट्यूब और उसके ढक्कन को धो-पोछ व सूखा कर सम्भाल कर जमा करते रहते हैं।
हमलोग रोजमर्रे के जीवन में लहसुन-प्याज ( अब उनकी बात नहीं कर रहा जो इसके खाने या छूने को पाप समझते हैं या सावन-कार्तिक में इसका त्याग कर शुद्ध-सात्विक बन जाते हैं ) तो इस्तेमाल करते ही हैं। तो कभी-कभी धर्मपत्नी के रसोईघर से फेंके जाने वाले इन लहसुन और प्याज़ के छिलकों पर भी प्यार आ जाता है और हम उसे अपनी जमा-पूँजी के भंडारण में शामिल कर लेते हैं।
तो आइए आज बनाते हैं उन्हीं टूथपेस्ट और शेविंग क्रीम के खाली ट्यूब, प्याज-लहसुन के छिलके, साड़ी या सूट के डब्बे से काला कार्ड-बोर्ड, पिस्ते के छिलके, पके नेनुआ का बीज, कुछ काँच की नली, कुछ मोतियाँ के संयोजन से और Fevicol & कैंची के सहयोग से कुछ Wall Hangings ... वैसे कैसा बना है ...☺☺☺
हस्तशिल्प का ये सफ़र बस यूँ ही ... चलता रहेगा ... एक आशा - एक उम्मीद ...
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (29-04-2020) को "रोटियों से बस्तियाँ आबाद हैं" (चर्चा अंक-3686) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
कोरोना को घर में लॉकडाउन होकर ही हराया जा सकता है इसलिए आप सब लोग अपने और अपनों के लिए घर में ही रहें। आशा की जाती है कि अगले सप्ताह से कोरोना मुक्त जिलों में लॉकडाउन खत्म हो सकता है।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुप्रभात सर ! नमन आपको ! आभार आपका इस रचना/एक प्रयास को अपने मंच पर साझा करने के लिए ...
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 28 एप्रिल 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteनमस्कार सर! आपका हार्दिक आभार मेरी रचना/एक प्रयास को अपने मंच साझा करने के लिए ...
Deleteक्या बात है लाजवाब
ReplyDeleteजी ! आभार गुरु जी !
Delete( अब स्वामी जी मत कहिएगा, कचरावाला बोल सकते हैं )😁😭😃
आपकी रचनात्मकता सचमुच प्रेरक है।
ReplyDeleteसाधारणतया अनुपयोगी वस्तुओं का सदुपयोग कर सुंदर सृजन आपकी बहुमुखी प्रतिभा का परिचायक है।
खूबसूरत निर्जीव वस्तुओं के साथ लिखे गये आपके सजीव विचारों की यात्रा चलती रहे अनवरत।
शुभकामनाएँ।
शुभकामनाओं के लिए शुक्रिया ... प्रशंसा भरी प्रतिक्रिया के लिए आभार आपका ...
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही शानदार ....
सचमुच बहुत सारी चीजे बनायी जा सकती हैं वेस्ट मटेरियल से....
आपकी ये कला सराहना से परे है।
🙏🙏🙏🙏
जी ! आभार आपका "वाह" और "शानदार" के लिए ... दुनिया के हर ज़र्रे में कला है और हर इंसान कलाकार, बस नज़रिया ही तो होनी चाहिए - ऐसा मानना है मेरा। क़ुदरत करे कि हर इंसान ऐसी ही नजरिए से ग्रस्त हो जाए ...
Delete