Sunday, April 10, 2022
.. कोंचती है अंतर्मना अंतर्मन ...
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क़बीलों में बँटे आदिमानव सारे प्रागैतिहासिक कालखंड के, या फिर मानव हों तदुपरांत प्राचीन काल के। मध्यकालीन या आधुनिक इतिहास को क्रमशः क़ाबिल ह...
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Wednesday, April 6, 2022
चंद चिप्पियाँ .. बस यूँ ही ...
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(१) रिवायतें तगड़ी ... कहीं मुंडे हुए सिर, कहीं जटाएँ, कहीं टिक्की, कहीं टोपी, कहीं मुरेठे-साफे, तो कहीं पगड़ी। अफ़सोस, इंसानों को इंसानों से ...
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Sunday, April 3, 2022
बाद भी वो तवायफ़ ...
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रंगों या सुगंधों से फूलों को तौलना भला क्या, काश होता लेना फलों का ज़ायका ही जायज़ .. शायद ... यूँ मार्फ़त फूलों के होता मिलन बारहा अपना, पर डा...
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Wednesday, March 30, 2022
तनिक उम्मीद ...
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हो जाती हैं नम चश्म हमारी सुनकर बारहा, जब कभी करतूतें तुम्हारी चश्मदीद कहते हैं .. बस यूँ ही ... हैं हैवानियत की हदें पार करने की यूँ चर्चा,...
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Monday, March 28, 2022
यूँ मटियामेट ...
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माना है जायज़ तुम्हारा सारे बुतों से गुरेज़, तो क्यों नहीं भला मुर्दे मज़ारों से परहेज़ ? गजवा-ए-हिन्द मायने ख़बरें सनसनीखेज़, सनक ने की राख़ इंसा...
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Thursday, February 24, 2022
जीरो बटा सन्नाटा ...
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# १# कोरोना की पहली और दूसरी लहर के बाद अब तक तो तुलनात्मक कम डरावनी तीसरी लहर भी लगभग समाप्त या धीमी हो चुकी है। राज्य सरकार द्वारा यथोचित...
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Sunday, February 20, 2022
निगोड़ा बिगाड़ रहा है ...
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अक़्सर आए दिन अधिकांश घरों में अभिभावकगण अपने बच्चों या युवाओं के बिगड़ने का सबसे बड़ा कारण या कई कारणों में से एक कारण या फिर मुख्य कारण मानते...
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