Wednesday, April 6, 2022
चंद चिप्पियाँ .. बस यूँ ही ...
›
(१) रिवायतें तगड़ी ... कहीं मुंडे हुए सिर, कहीं जटाएँ, कहीं टिक्की, कहीं टोपी, कहीं मुरेठे-साफे, तो कहीं पगड़ी। अफ़सोस, इंसानों को इंसानों से ...
10 comments:
Sunday, April 3, 2022
बाद भी वो तवायफ़ ...
›
रंगों या सुगंधों से फूलों को तौलना भला क्या, काश होता लेना फलों का ज़ायका ही जायज़ .. शायद ... यूँ मार्फ़त फूलों के होता मिलन बारहा अपना, पर डा...
14 comments:
Wednesday, March 30, 2022
तनिक उम्मीद ...
›
हो जाती हैं नम चश्म हमारी सुनकर बारहा, जब कभी करतूतें तुम्हारी चश्मदीद कहते हैं .. बस यूँ ही ... हैं हैवानियत की हदें पार करने की यूँ चर्चा,...
20 comments:
Monday, March 28, 2022
यूँ मटियामेट ...
›
माना है जायज़ तुम्हारा सारे बुतों से गुरेज़, तो क्यों नहीं भला मुर्दे मज़ारों से परहेज़ ? गजवा-ए-हिन्द मायने ख़बरें सनसनीखेज़, सनक ने की राख़ इंसा...
12 comments:
Thursday, February 24, 2022
जीरो बटा सन्नाटा ...
›
# १# कोरोना की पहली और दूसरी लहर के बाद अब तक तो तुलनात्मक कम डरावनी तीसरी लहर भी लगभग समाप्त या धीमी हो चुकी है। राज्य सरकार द्वारा यथोचित...
8 comments:
Sunday, February 20, 2022
निगोड़ा बिगाड़ रहा है ...
›
अक़्सर आए दिन अधिकांश घरों में अभिभावकगण अपने बच्चों या युवाओं के बिगड़ने का सबसे बड़ा कारण या कई कारणों में से एक कारण या फिर मुख्य कारण मानते...
1 comment:
Saturday, February 5, 2022
खुरपी के ब्याह बनाम क़ैद में वर्णमाला ... भाग-३ (अन्तिम भाग).
›
(i) खुरपी के ब्याह में हँसुए का गीत : - अब आज "खुरपी के ब्याह बनाम क़ैद में वर्णमाला ... भाग-३" में गत भाग-२ में साझा किए गए ग्रा...
1 comment:
‹
›
Home
View web version