Saturday, August 14, 2021
क्षुप कईं मेंथा के ...
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जब कभी भी तुम .. रचना कोई अपनी रूमानी और तनिक रूहानी भी, अतुकान्त ही सही, पर ... बटोर के चंद शब्दों को किसी शब्दकोश से, जिन्हें .. टाँक आ...
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Thursday, August 12, 2021
कभी-कभार ही सही ...
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पालथी मरवाए या कभी करवा कर खड़े कतारों में, हाथों को दोनों जुड़वाए, आँखें भी दोनों मूँदवाए, बचपन से ही बच्चों को अपने, स्कूलों - पाठशालाओं म...
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Wednesday, August 11, 2021
ज्वलंत समस्या दिवस ...
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हम ने गत वर्ष इसी माह अपनी बतकही के तहत "हलकान है भकुआ - (१)" शीर्षक के साथ ही, आगे भी एक श्रृंखला के सिलसिले के बारे में सोची ...
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Tuesday, August 10, 2021
आसमां में कहीं पर ...
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१) ख़ैर ! ... क़ुदरत सब के साथ है, अपना हो या गैर। वक्त कितना भी हो बुरा, हो जाएगा ख़ैर .. शायद ... २) आसमां में कहीं पर ... सुना है, रहता है त...
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Sunday, August 8, 2021
ज़ालिम लोशन है ना !!! ...
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ओलम्पिक में स्वर्ण पदक लाते ही, लाने वाले ( नीरज चोपड़ा ) की वाहवाही करते हुए कोई भी नहीं थक रहा। रजत पदक या कांस्य पदक लाने वालों (या वालि...
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Saturday, August 7, 2021
एक अदद .. सुलभ शौचालय ...
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काश !!! ... किसी .. शैक्षणिक कार्यशाला के तहत बुलायी जाती एक बैठक और फ़ौरन गठित कर एक समिति बुद्धिजीवियों की, लेने के लिए मार्गदर्शन उनसे ...
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Friday, August 6, 2021
ससुरी ज़िन्दगी का ...
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(१) निगाहें ठहरी हुईं ... है किसी रेत-घड़ी-सी .. बस यूँ ही ... ज़िन्दगी हम सब की, .. शायद ... दो काँच के कक्षें जिसकी, हो मानो जीवन-मृत्यु ज...
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