Saturday, January 23, 2021
कलात्मक फ्यूज़न ...
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यूँ तो देखे हैं अक़्सर हमने जनजाति महिलाओं के , उनके पहने हुए हसुली के इर्द-गिर्द , छाती के ठीक ऊपर या और भी कई नंगे अंगों पर पारम्परिक चित्...
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Sunday, January 17, 2021
हम हो रहे ग़ाफ़िल ...
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अब तथाकथित खरमास खत्म हो चुका है। पुरखों के कथनानुसार ही सही, आज भी बुद्धिजीवी लोग कहते हैं कि खरमास में शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। अब पुरखो...
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Thursday, November 26, 2020
कागभगोड़े
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सदियों से हो मौन खड़े और कहीं बैठे , कँगूरे वाले ऊँचे-ऊँचे भवनों के भीतर , पर देखो नीले आसमान के नीचे खड़े कागभगोड़े भी हैं तुझ से कहीं बेहतर।...
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Thursday, November 12, 2020
'जिगोलो'-बाज़ार में ...
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दहेजयुक्त 'अरेंज्ड मैरिज' वाले मड़वे में बैठे एक सजे-धजे वर और किसी 'जिगोलो'-बाज़ार में प्रतीक्षारत खड़े .. पुरुष-वेश्य में, म...
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Wednesday, November 11, 2020
गिरमिटिया के राम - चंद पंक्तियाँ-(29)-बस यूँ ही ...
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(1) निरीह "कलावती" "कलावती" के पति के जहाज़ को डुबोने वाले, चाय लदी जहाज़ भी कलुषित फ़िरंगियों के एक-दो भी तो डुबोते, भ...
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Tuesday, November 10, 2020
क़तारबद्ध हल्ला बोल
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(1) क़तारबद्ध हर मंगल और शनिचर को प्रायः हम शहर के प्रसिद्ध हनुमान मन्दिरों में तब भी कतारबद्ध खड़े रहे थे और वो तब भी कतारों में खड़े कभी को...
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Tuesday, November 3, 2020
रिश्तों का ज़ायक़ा - चंद पंक्तियाँ - (28) - बस यूँ ही ...
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"रिश्तों का ज़ायक़ा" शीर्षक के अंतर्गत मन में पनपी अपनी रचनाओं की श्रृंखलाओं में से एक - "चंद पंक्तियाँ - (28) - बस यूँ ही ......
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