बंजारा बस्ती के बाशिंदे
Saturday, October 12, 2019

प्रेम के तीन आयाम ...

›
स्नेह, प्रेम और श्रद्धा हैं तीनों प्रेम के तीन आयाम बचपन, जवानी और बुढ़ापा हैं जैसे जीवन के तीन सोपान या कठोपनिषद् के तथाकथित पात्र नचि...
12 comments:

भेद का पर्दा

›
पर्दा का उठना-गिरना ... गिरना-उठना है एक अनवरत सिलसिला पलकों के उठने-गिरने ... गिरने-उठने जैसा मानो हो दिनचर्या का अंग पर्दा है कभी क़...
4 comments:
Friday, October 11, 2019

बच्चे अब बड़े हो गए हैं !!!

›
एक शाम अर्धांगनी की उलाहना - "बच्चे अब बड़े हो गए हैं !!! आपको शर्म नहीं आती क्या !?" मैं घायल मन से - "शर्म ही आती, तो ...
2 comments:
Thursday, October 10, 2019

बोगनवेलिया-सा ...

›
बोगनवेलिया की शाखाओं की मानिंद कतरी गईं हैं हर बार .. बारम्बार .. हमारी उम्मीदें .. आशाएं .. संवेदनाएं .. ना जाने कई-कई बार पर हम भी...
4 comments:
Wednesday, October 9, 2019

अंतरंग रिश्ते के दो रंग ... ( दो रचनाएँ ).

›
(1)@  बनकर गुलमोहर  ------------------- सुगन्ध लुटाते मुस्कुराते .. लुभाते बलखाते .. बहुरंग बिखेरे खिलते हैं यहाँ सुमन बहुतेरे नर्म...
12 comments:
Monday, October 7, 2019

बेआवाज़ चीखें

›
दिखती हैं अक़्सर फूलों की अर्थियां दुकानों .. फुटपाथों चौक-चौराहों पर चीख़ते .. सुबकते पड़े बेहाल .. बेजान फूल ही चढ़ते यहाँ बेजान ...
6 comments:
Sunday, October 6, 2019

चलो ... बुत बन जाएं - चन्द पंक्तियाँ - (१९) - बस यूँ ही ...

›
(१) पत्थर-दिल हो गए हैं मेरे शहर के लोग ... 'पत्थरों' को पूजते-पूजते (२) सुना है ... अयोध्या में 'राम-मंदिर' ब...
2 comments:
‹
›
Home
View web version

About Me

My photo
Subodh Sinha
आम नागरिक, एक इंसान बनने की कोशिश
View my complete profile
Powered by Blogger.