बंजारा बस्ती के बाशिंदे
Wednesday, July 17, 2019

वहम

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एक किसी दिन आधी रात को एक अजनबी शहर से अपने शहर और फिर शहर से घर तक की दूरी तय करते हुए सारे रास्ते गोलार्द्ध चाँद आकाश के गोद से न...
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Sunday, July 14, 2019

अहसासों के झांझ

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सुनो ना ! सोचा है आज तुम तनिक अपने मन की राई से अहसासों के झांझ वाले प्रेम का तेल बहने दो ना जरा ... बनाना चाहता हूँ हमारे प्रेम...
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Thursday, June 20, 2019

नमक - स्वादानुसार ....

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औरतें चौकों में खाना सिंझाती मात दे जाती हैं अक़्सर .... सर्कस में रस्सी पर संतुलन बना कर चलने वाले कलाकार को भी  जब .... डालती हैं वे ह...
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साक्षात स्रष्टा

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एक शाम कारगिल चौक के पास कुम्हार के आवाँ के मानिंद पेट फुलाए संभवतः संभ्रांत गर्भवती एक औरत ... साक्षात स्रष्टा , सृष्टि को सिंझाती अपन...
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Wednesday, June 19, 2019

विवशताएँ .. अपनी-अपनी...

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आज की यह रचना/विचार हिन्दी दैनिक समाचार पत्र- दैनिक जागरण , धनबाद के समाचारों से इतर सहायक पृष्ठ पर 20 दिसम्बर, 2005 को " विवशता ...
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Tuesday, June 18, 2019

अनचाहा डी. एन. ए.

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अपने कंधों पर लिए अपने पूर्वजों के डी. एन. ए. का अनमना-सा अनचाहा बोझ ठीक उस मज़बूर मसीहे की तरह जो  था मज़बूर अंतिम क्षणों में स्वयं के ...
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Monday, June 17, 2019

भावनाओं के ऊन

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किसी पहाड़ी वादियों में कुलाँचे मारते भेंड़ों के झुण्ड जैसी भागमभाग वाली हमारी दिनचर्या और उन भेंड़ों के बदन से ज़बरन कतरे गए मुलायम उनके ...
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Subodh Sinha
आम नागरिक, एक इंसान बनने की कोशिश
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