Saturday, June 15, 2019
चन्द पंक्तियाँ (५) ... - बस यूँ ही ...
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(1)# बड़ा बेरंग-सा था ये जीवन अपना तेरे प्यार के प्रिज़्म ने इसे 'बैनीआहपीनाला' कर दिया ..... (2)# अमरबेल-सा परजीवी मेरा...
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चन्द पंक्तियाँ (४) ... - बस यूँ ही ...
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(1) तमाम उम्र मैं हैरान, परेशान, हलकान-सा, तो कभी लहूलुहान बना रहा हो जैसे मुसलमानों के हाथों में गीता तो कभी हिन्दूओं के हाथों क...
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Wednesday, June 12, 2019
चन्द पंक्तियाँ (३)... - बस यूँ ही ...
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(1) कपसता है कई बार ... ब्याहता तन के आवरण में अनछुआ-सा एक कुँवारा मन ..... (2) जानती हो !! इन दिनों रोज़ ... रात में अक़्सर इ...
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Sunday, June 9, 2019
चन्द पंक्तियाँ (२)... - बस यूँ ही ...
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(1) बेशक़ एक ही दिन वर्ष भर में सुहागन करती होगी सुहाग की लम्बी उम्र की खातिर उमंग से वट-सावित्री पूजा पर उसका क्या जो हर दिन, हर प...
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Friday, June 7, 2019
इन्सानी फ़ितरत
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साहिब ! ये तो इन्सानी फ़ितरत है कि जब उसकी जरूरत है तो होठों से लगाता है नहीं तो ... ठोकरों में सजाता है ये देखिए ना हथेलियों के दायरे ...
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Saturday, June 1, 2019
डायनासोर होता आँचल (एक आलेख).
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प्रथमदृष्टया शीर्षक से आँचल के बड़ा हो जाने का गुमान होता है, पर ऐसा नहीं है। दरअसल आँचल के डायनासोर की तरह दिन-प्रतिदिन लुप्तप्रायः होते...
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Thursday, May 30, 2019
इन्द्रधनुष
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'बैनीआहपीनाला' को स्वयं में समेटे क्षितिज के कैनवास पर प्यारा-सा इन्द्रधनुष ... जिस पर टिकी हैं जमाने भर की निग़ाहें रंगबिर...
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