Friday, June 7, 2019
इन्सानी फ़ितरत
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साहिब ! ये तो इन्सानी फ़ितरत है कि जब उसकी जरूरत है तो होठों से लगाता है नहीं तो ... ठोकरों में सजाता है ये देखिए ना हथेलियों के दायरे ...
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Saturday, June 1, 2019
डायनासोर होता आँचल (एक आलेख).
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प्रथमदृष्टया शीर्षक से आँचल के बड़ा हो जाने का गुमान होता है, पर ऐसा नहीं है। दरअसल आँचल के डायनासोर की तरह दिन-प्रतिदिन लुप्तप्रायः होते...
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Thursday, May 30, 2019
इन्द्रधनुष
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'बैनीआहपीनाला' को स्वयं में समेटे क्षितिज के कैनवास पर प्यारा-सा इन्द्रधनुष ... जिस पर टिकी हैं जमाने भर की निग़ाहें रंगबिर...
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Sunday, May 26, 2019
चन्द पंक्तियाँ (१) ... - बस यूँ ही ....
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(1)# उस शाम गाँधी-घाट पर दो दीयों से वंचित रह गई गंगा-आरती जो थी नहीं उस भीड़ में कौतूहल भरी तुम्हारी दो आँखें मुझे निहारती (2)...
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Saturday, May 25, 2019
गर्भनाल
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यूँ तो दुनिया भर के अँधेरों से डरते हैं सभी कई बार डरा मैं भी पर कोख के अंधियारे में तुम्हारी अम्मा मिला जीवन मुझे भला डर लगता कैसे कभ...
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बुद्ध
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सिद्धार्थ से बुद्ध ... या ... गौतम बुद्ध तक का सफ़र तय करके तुम्हारे महानिर्वाण के वर्षों बाद दिया गया था ज़हर सुकरात को पीया भी उसने अके...
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