Friday, October 30, 2020

होठों की तूलिका - चंद पंक्तियाँ - (27)- बस यूँ ही ...

आज शरद पूर्णिमा के पावन अवसर पर ....

(१) होठों की तूलिका

आज सारी रात

शरद पूर्णिमा की चाँदनी

मेरी बाहों का चित्रफलक 

तुम्हारे तन का कैनवास

मेरे होठों की तूलिका


आओ ना ! ..

आओ तो ...

रचें दोनों मिलकर

एक मौन रचना 

'खजुराहो' सरीखा ...

( चित्रफलक - Easel,

   कैनवास - Canvas,

   तूलिका - Painting Brush ).


(२) चाहतों की मीनार 

मैं 

तुम्हारे 

सुकून की 

नींव बन जाऊँ


तुम 

मेरी 

चाहतों की 

मीनार बन जाना ...


(३) मन की कंदरा ...

माना कि ..

है रौशन

चाँद से

बेशक़ 

ये सारा जहाँ ...


पर एक अदद 

जुगनू है बहुत

करने को 

रौशन

मन की कंदरा ...