सुनो ना !
सोचा है आज
तुम तनिक अपने
मन की राई से
अहसासों के झांझ वाले
प्रेम का तेल
बहने दो ना जरा ...
बनाना चाहता हूँ
हमारे प्रेमसिक्त
तीते और नमकीन
नोंक-झोंक के
संतुलित मात्रा में
लुभावनी खुशबू से
तर-ब-तर मसाले
में लिपटा कर
बनाने की मनभावनी
प्रक्रिया वाले
चाहत की धूप में
सीझकर तैयार होते
चटपटे अचार
हमारे संबंधों के
जिसे सहेजना है
ताउम्र ... अनवरत
जीवन के फीकापन को
स्वाद देने के लिए
मेरी सोच के
मर्तबान में ...
सुनो ना !!! ....
सोचा है आज
तुम तनिक अपने
मन की राई से
अहसासों के झांझ वाले
प्रेम का तेल
बहने दो ना जरा ...
बनाना चाहता हूँ
हमारे प्रेमसिक्त
तीते और नमकीन
नोंक-झोंक के
संतुलित मात्रा में
लुभावनी खुशबू से
तर-ब-तर मसाले
में लिपटा कर
बनाने की मनभावनी
प्रक्रिया वाले
चाहत की धूप में
सीझकर तैयार होते
चटपटे अचार
हमारे संबंधों के
जिसे सहेजना है
ताउम्र ... अनवरत
जीवन के फीकापन को
स्वाद देने के लिए
मेरी सोच के
मर्तबान में ...
सुनो ना !!! ....
बहुत ही सुंदर भावाभिव्यक्ति .... बहुत-बहुत बधाई ।
ReplyDeleteशुक्रिया आपका !☺
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार, जुलाई 16, 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteअपने बहुमूल्य "पाँच लिंकों का आनंद" में मेरी साधारण रचना को शामिल कर के उसको महत्ता का अहसास कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद यशोदा जी !☺
Deleteसोच के मर्तबान ऐसे गहरे एहसासों से भरते चलें ... जीवन बिताना आसान हो जायगा ...
ReplyDeleteसही सलाह के लिए शुक्रिया महाशय !☺
Deleteबहुत ही सुन्दर सृजन सर
ReplyDeleteसादर
रचना की सराहना के लिए शुक्रिया महोदया !
Deleteबहुत सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteरचना की सराहना के लिए शुक्रिया आपका !
Deleteजीवन के फीकापन को
ReplyDeleteस्वाद देने के लिए
मेरी सोच के
मर्तबान में ..
क्या खूब कहा है निशब्द कर दिया :)
आपकी प्रतिक्रिया भी मुझे निःशब्द कर गई महाशय ! शुक्रिया आपका !
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर.... लाजवाब।
मन से शुक्रिया आपका ...
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